मेरी आवाज ही पहचान है्..
हाय दिल्ली ये है रेडियो मिर्ची और आप सुन रहे हैं पुरानी जींस विद साइमा। ये आवाज शायद ही कोई दिल्लीवासी होगा जो नहीं पहचानता हो। सिर्फ साइमा ही नहीं, बक-बक पल्लवी, सिमरन, स्वाति, माहिया, नीता जैसी कई आवाज रेडियो पर गूंजती हैं, जिन्हें सुनकर शहर वासी एफएम रेडियो स्टेशन तक को पहचान लेते हैं। यहां बात हो रही है आवाज की दुनिया की मलिका 'महिला रेडियो जॉकी' की ।
आरजे का क्रेज
एफएम और आरजे को लेकर आज इतना ज्यादा क्रेज है कि युवावर्ग बिना एफएम वाला मोबाइल रखना पसन्द नहीं करते और हमेशा अपने मोबाइल में एफएम ऑन किए सुनते रहते हैं । यह तो आज के जमाने के रेडियो स्टेशन की बात है, लेकिन पहले के समय में भी रेडियो का हाल कुछ ऐसा ही था । अब भी रेडियो का नाम सुनते ही पापा-मम्मी की जुबान पर विविध भारती के अमिन सयानी, निम्मी मिश्रा, रेणु बंसल, ममता सिंह जैसी कई नाम बरबस याद आ जाते हैं ।
नाम, पैसा, प्रतिष्ठा
रेडियो की दुनिया में शुरू से ही महिलाओं का दबदबा कायम है और आज भी ये अपनी मधुर आवाज से लोगों का मनोरंजन कर रही हैं। इसके पीछे कुछ खास वजह भी है-अच्छी आवाज महिलाओं की कुदरती खासियत है, ज्यादा बोलना या गपशप करना लड़कियों की आदत होती है। ऐसे में लड़कियां अपनी इस आदत को अपना प्रोफेशन बना रही हैं । इस प्रोफेशन में नाम, पैसा, प्रतिष्ठा, ग्लैमर सबकुछ है, ये हर दिन नई-नई जानकारियों के साथ अपडेट होते हैं और इनकी आवाज को महत्व दिया जाता है । लाखों की तादाद में लोग इनको सुनते हैं और इनके फैन बन जाते हैं, ये बहुत बड़ी बात है ।
श्रोताओं से संबंध
रेडियो जॉकी भी अपने शो से और अपने श्रोताओं से बहुत प्यार करती हैं तभी तो एक-दूसरे को बिना देखे, बिना जाने भी इनके बीच (आरजे-श्रोता के बीच) गजब का अटूट रिश्ता बन जाता है । इन्दौर की प्रसिद्ध आरजे भावना कहती हैं कि उनका शो उनके बच्चे की तरह है और सारे श्रोता उनके रिश्तेदारों की तरह हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें अपने शो से और अपने श्रोताओं से बेहद प्यार है और ऐसा करने में उन्हें बेहद मजा आता है ।
आरजे स्वाति
हाय मैं हूं स्वाति और आप सुन रहे हैं 93.5 रेड एफएम... बजाते रहो
दिल्ली की मशहूर आरजे स्वाति ने बताया कि आज के श्रोता सिर्फ गाने सुनने के लिए एफएम नहीं सुनते हैं, उन्हें हर वक्त, हर जगह इन्फॉर्मेशन चाहिए । आज हर आदमी एफएम वाला मोबाइल यूज करता है ताकि वह जहां भी रहे घर में, दफ़्तर में, बस में, ऑटो में या रास्ते में हर जगह वो जानकारियों से अपडेट होता रहे और साथ ही साथ उसका मनोरंजन भी होता रहे।
स्वाति का कहना है कि इस फील्ड में प्रजेंस ऑफ माइण्ड बेहद महत्वपूर्ण है । उन्होंने बताया कि श्रोता वर्ग का ध्यान रखना बेहद जरूरी है । हमारे श्रोता 15 साल के टीनएजर्स से लेकर 50-60 साल के बुजुर्ग तक हैं । ऐसे में सबका खयाल रखना जरूरी है, हमारे साथ हमारे चैनल का नाम (विश्वसनीयता ) जुड़ा होता है, उसे बनाए रखना सबसे जरूरी और सबसे महत्वपूर्ण है ।
रूमी मिल्लक-
हाय मैं हूं दिल्ली की बिल्ली रूमी और आप सुन रहे हैं एफएम रेनबो 102.6 दिल्ली की बिल्ली नाम से प्रसिद्ध आरजे रूमी का कहना है कि बचपन से ही क्रिएटिव काम करने में मजा आता था, बस स्नातक पूरा होते ही यह फील्ड ज्वाइन कर लिया । शुरुआत में तो कुछ कठिनाई आई लेकिन बहुत जल्द मैंने अपनी पहचान बना ली । कई विभिन्न नामी-गिरामी एफएम में आरजे रह चुकी रूमी कहती हैं कि अगर इस फील्ड में सफलता पानी है तो आप अपने विकल्प खुले रखें किसी एक चैनल के होकर ही नहीं रह जाएं। साथ ही, आवाज की दुनिया के लिए मल्टीटास्किंग होना बेहद जरूरी है । उन्होंने बताया कि आरजे के लिए रचनात्मकता, इच्छा और प्रतिभा बेहद जरूरी है । उनका मानना है कि महिलाओं के लिए इसमें ज्यादा संभावनाएं हैं क्योंकि आरजे आवाज की दुनिया है और महिलाओं की अच्छी आवाज कुदरती देन है ।
रूमी का मानना है कि अगर आप इस फील्ड में हैं तो हमेशा प्रोग्राम करने के लिए तैयार रहें क्योंकि कभी भी इसकी जरूरत पड़ सकती है । उन्होंने बताया कि 5-6 साल पहले एफएम हॉटलाइन प्रोग्राम में आरजे नहीं आ पाई । उस शो में आरजे को किसी यंगस्टर्स से बात करनी होती थी उसके बारे में सिर्फ आरजे को पता होता था । ऐसे में उस दिन वह (रूमी) एक 16 साल की लड़की सलोनी बनकर क्यूट आवाज निकालकर लड़की की तरह बात की और प्रोग्राम को सफल बनाया । उसके बाद तो उस लड़की के लिए कई सारे प्रपोजल भी आए । रूमी कहती है कि वह मेरे जीवन का सबसे यादगार क्षण है और ये इस फील्ड की वजह से ही सम्भव हो पाया । रूमी ने बताया कि अच्छी आवाज के साथ-साथ अगर आप कई और तरह की आवाज निकाल सकती हैं और मिमिक्री कर सकती हैं तो आपके लिए संभावना दोगुनी हो जाती है ।
आरजे भावना
गुड आफ़्टरनून के जस्ट एक घंटे पहले वाली गुडमॉर्निंग है जी आप सुन रहे है इन्दौर का अपना रेडियो 94.3 मॉय एफएम और मैं हूं आपकी दोस्त भावनाआरजे भावना का कहना है कि आरजे के फील्ड में आपकी आवाज,आपका अन्दाज, सेंस ऑफ ह्यूमर का बहुत ज्यादा महत्व होता है । इनके बिना आरजे बनना मुश्किल है । उन्होंने बताया कि आरजे की सोच आम लोगों की सोच से हटकर कुछ अलग और नई होनी चाहिए । साथ ही जिस शहर के एफएम में काम कर रहे हों वहां की स्थानीय जानकारी भी होनी चाहिए । तभी वह लोगों से अच्छी तरह से बातचीत कर पाएगी । भावना का मानना है कि आरजे को अपने नेचुरल साउण्ड में शो करना चाहिए किसी की कॉपी नहीं करनी चाहिए तभी वह अपनी पहचान बना पाएगी।
भावना ने बताया कि यह फील्ड लड़कियों के लिए बहुत सही है और इसमें उनके लिए संभावनाएं भी अपार है। उन्होंने बताया कि लड़कों की अपेक्षा लड़कियों की कम्यूनिकेशन स्किल ज्यादा अच्छी होती हैं और वह किसी को भी बहुत जल्दी अपना बना सकती हैं । इस वजह से उन्हें ज्यादा मौका मिलता है । उन्होंने बताया कि ये बहुत ग्लैमरस फील्ड है लेकिन अन्य ग्लैमरस फील्ड की अपेक्षा ये ज्यादा सही है । हम कहीं भी आराम से आते-जाते हैं, घूमते-टहलते हैं लेकिन हमें कोई पहचान नहीं पाता है । भावना ने बताया कि दो साल पहले अपने जन्मदिन के रात 12 बजे शो खत्म होने के दस मिनट पहले उन्होंने अपने श्रोताओं से कहा कि आज उनका जन्मदिन है। इतना कहते ही दस मिनट के अन्दर 300 से ज्यादा मेल और ढेर सारे फोन आ गए । कुछ ही देर में एक फैन पांच फुट लंबा बुके लेकर ऑपिफस आ गया । इस पल को याद करके भावना रोमांच से भर जाती हैं और इतना मशहूर हाने के लिए इस फील्ड को धन्यवाद देती हैं ।
आरजे भारती हाय गुड मॉर्निंग दिल्लीवालों आप सुन रहे है एफ एम रेनबो और मैं हूं आपकी दोस्त भारती
भारती बचपन से आरजे बनना चाहती थी लेकिन परिवारवालो के दबाव में आकर एमबीए कर लिया, लेकिन उसे इस फील्ड में घूटन महसूस होने लगा और उसने जॉब छोड़ दी । भारती कहती है कि मन का नहीं करने पर घूटन महसूस होती है इसी वजह से मैंने अपने मन की सुनी और बचपन के ख्वाहिशों को पूरा करने के लिए आरजे बन गई और आज मैं बेहद खुश हूं, बहुत अच्छा लगता है जब श्रोता मुझे सुनते है और प्यार से फोन करते है। उसने बताया कि आप चाहे तो किसी और काम के साथ-साथ पार्ट टाइम जॉब के रुप में भी आरजेयिंग कर सकते हैं।
आरजे नीति
रेड एफ की आरजे नीति कहती हैं रेडियो की दुनिया में आवाज का कोई लेना देना नहीं है । हां इतना जरूर है कि आपकी आवाज सुनने में अच्छी लगे । जो जरूरी है वह है आपकी रचनात्मकता । आप कितनी देर तक श्रोताओं को बांधे रख सकते हैं । आपके शब्द ऐसे होने चाहिए कि बस सुनने वाला चैनल बदल ही न सके ।
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