रविवार, 5 सितंबर 2010

संगीत से सुधरती है बच्चों की भाषा दक्षता

अगर आपको लगता है कि वाद्ययंत्र बजाना सीखना समय की बर्बादी के सिवाय कुछ नहीं है तो अपनी सोच बदल डालिए। एक नये शोध से पता चला है कि वाद्ययंत्र बजाना सीखने से वाक ध्वनि के प्रति मस्तिष्क की संवेदनशीलता बढ जाती है. जिससे बच्चों की भाषा दक्षता को सुधारने में मदद मिलती है।

तंत्रिका विज्ञानी प्रोफेसर नीना क्राउस द्वारा किए गए अध्ययन में बताया गया है कि वाद्ययंत्र बजाने से ब्रेनस्टेम (मस्तिष्कस्तम्भ) में स्वचालित प्रक्रिया पर असर पडता है। मस्तिष्कस्तम्भ मस्तिष्क का वह निचला है, जो रीढ की हड्डी से जुडा होता है और श्वसन और हृदय की धड़कन जैसे कई महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करने के साथ ही जटिल ध्वनियों के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त करता है।

क्राउस कहती हैं, वाद्ययंत्र बजाना सीखना विकासशील मस्तिष्क के लिए बडा फायदेमंद है। इसे स्कूली शिक्षा का प्रमुख हिस्सा बनाया जाना चाहिए। संगीत सीखने से बच्चों को क्लासरूम में शोरशराबे के दौरान भी भाषिक प्रकियाओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिल सकती है और वे भाषा के उन सूक्ष्म अंतरों की अधिक सटीक व्याख्या कर सकते हैं, जो आवाज में सूक्ष्म परिवर्तनों से सम्प्रेषित किए जाते हैं। .

वाद्ययंत्र बजाना सीखने से सामान्य बच्चों को तो मदद मिलती ही है, उन बच्चों को भी सहायता मिलती है, जो वाणी दोष और आत्ममुग्धता जैसी विकास समस्याओं से जूझ रहे होते हैं। क्राउस का कहना है, अर्थाभाव वाले वे स्कूल गलती करते हैं जो अपने पाठक्रम से संगीत को हटा देते हैं।

इलिनेस के एवर्स्टन में नार्थवेस्टर्न यूनीवर्सिटी में क्राउस की प्रयोगशाला में शोधकर्ताओं ने यह प्रदर्शित करने के लिए एक नया तरीका विकसित किया है कि तंत्रिका तंत्र भाषा की ध्वनि विशेषताओं और मिलीसेकंड से भी कम परिशुद्धता वाली संगीत ध्वनियों के प्रति किस तरह प्रतिक्रिया व्यक्त करता है।

प्रोफेसर क्राउस कहती हैं कि संगीत बजाने में सुसंगत स्वर पद्धतियों को प्रकट करने की योग्यता होना जरूरी है, जिनमें अपने वाद्ययंत्र के स्वर, स्वरसंगति और स्वररचना की लय शामिल है। यह हैरानी की बात नहीं है कि संगीतज्ञों का स्नायु तंत्र संगीत और भाषा में समान रूप से स्वरपद्धतियों का प्रयोग करने में अधिक कारगर होता है।

पहले उनके दल ने पता लगाया था कि स्वरपद्धतियों के प्रति संवेदनशीलता अध्ययन में दक्षता और शोरशराबे के माहौल में भी बात सुनने की क्षमता के साथ जुडी है। प्रोफेसर क्राउस कहती हैं कि लोगों को जीवन भर ध्वनियों के जो अनुभव होते हैं, उससे उनकी श्रवण प्रणाली अच्छी तरह उनके अनुकूल हो जाती है। संगीत प्रशिक्षण न केवल संगीत उद्दीपक प्रक्रियाओं के लिए लाभकारी है बल्कि हमने पाया है कि वर्षों का संगीत प्रशिक्षण इसमें भी सुधार ला सकता है कि किस तरह ध्वनियों से भाषा और भावनाएं सम्प्रेषित की जाती हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें