- किसी शायरा के कलाम के सम्मान में
आपकी शायरी में इश्क़, समर्पण, रूहानियत और पाकीज़गी है, वहीं लेखों में एक आग समाई है.....
आपकी जितनी भी तारीफ़ की जाए कम है..... आज फिर हम अल्फ़ाज़ की कमी महसूस कर रहे हैं....
आप जितनी तंज रखती है उतनी ही रूमानियत भी
सुन्दर बहुत सुन्दर
बहुत सुंदर गीत। प्रेम की दिव्यता एहसास कराता हुआ। जीवन के परम सत्य की ओर इंगित करता हुआ। इसे हम तक पहुंचाने के लिये तहे दिल से शुक्रिया।
श्क़ बहुत ऊँची सर्कस है, हर किसी के बस में नहीं इश्क़ करना ...........इश्क़ में ख़ुद इश्क़ होना पड़ता है , घुलना पड़ता है नमक की तरह समन्दर में...........तब कहीं जा कर यार से विसाल होता है
मेरे अल्फाज़ मेरे जज़्बात और मेरे ख्यालात की तर्जुमानी करते हैं...क्योंकि मेरे लफ़्ज़ ही मेरी पहचान हैं
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