शुक्रवार, 3 सितंबर 2010

सुभाषित / टिप्पणियां

खूब लम्बी हो यह जरूरी नहीं.प्रार्थना के शब्द सुंदर हों यह आवश्यक नहीं.
भाषा अलंकार पूर्ण हो यह भीआवश्यक नही और भाव सुसंगत हो यह भी आवश्यक नहीं.
भगवान् न प्रार्थना कीलम्बाई देखते हैं न भाषा का सौंदर्य देखते हैं, और न
भावों की सुसंगति हीदेखते हैं. भगवान् तो भावना के भूखे हैं. वह तो ह्रदय
...की निष्कपटता, सरलता तथा शुद्धता पर मुग्ध होते हैं


जंग लगी पिन ने रंग बिखेर दिए थे कागजों पे, मुझसे बोली, तुम्हारा विश्वास मैंने टूटने नहीं दिया है, ये जो रंग बिखरे हैं वो तो तुम्हारे स्पर्श का ब्याज है, चुकाती रहूंगी उम्र भर, चाहे चुक ही क्यूँ न जाऊं

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