रविवार, 3 अक्तूबर 2010

मुलाहिजा फरमाएँ :

मुलाहिजा फरमाएँ :

खुदा जाने ये हुस्न वाले चश्मा क्यूँ लगाते हैं,

इन्होंने किया है क्या ऐसा, जो ये आँखें चुराते हैं।


अमर प्रेम :

पत्नी : अगर मैं मर जाऊँ तो तुम क्या करोगे?

पति : मैं भी मर जाऊँगा।

पत्नी : क्यों?

पति : कभी-कभी ज्यादा खुशी भी जान ले लेती है।


एक सहेली ने दूसरी सहेली से कहा : अगले महीने मैं अपनी तीसरी शादी कर रही हूँ।

दूसरी सहेली : अच्छा। तुम्हारे पहले दो पतियों का क्या हुआ?

पहली सहेली : एक भगवान को प्यारा हो गया, दूसरा पड़ोसन को प्यारा हो गया।


लड़की (लड़की से) : कोई ऐसी बात कहो, जिसे सुनकर दुःख भी हो, खुशी भी हो।

लड़की : आई लव यू भैया।


तंदुरुस्ती वह चीज है, जिससे आपको यह मामुलाहिजा फरमाएँ :

खुदा जाने ये हुस्न वाले चश्मा क्यूँ लगाते हैं,

इन्होंने किया है क्या ऐसा, जो ये आँखें चुराते हैं।

र्णिव

अमर प्रेम :

पत्नी : अगर मैं मर जाऊँ तो तुम क्या करोगे?

पति : मैं भी मर जाऊँगा।

पत्नी : क्यों?

पति : कभी-कभी ज्यादा खुशी भी जान ले लेती है।

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