दीपों का उजियारा, घट घट में भर जाए ।
मानस का अंधियारा, हर मन से मिट जाए।
आतंकवाद का नाश, किंवा अंत हो -
इन्सानियत का, भाव सदा यश पाए।
दीप हो, स्नेह हो, बाती हो तो
मिलता प्रकाश है।
अंधियारा मिट जाता, छाता उल्लास है।
इस मेल में, ऊर्जा है, शक्ति है-
प्रेम जिससे झरता है, बढ़ता विश्वास है ।
सबको रोटी, सबको कपड़ा,
सबको मिले मकान।
भारतमाता की विश्व में, दिन दूनी हो शान।
लोग गुनें, रोजगार बढ़े,
दिवाली का ये उपकार हो-
की जगती आँखों का,
यह स्वप्न भी साकार हो।
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