रंग कुछ और ही चढ़ा होता
इक नया आचरण गढ़ा होता
तुमने गोकुल की गोपियों से अगर
प्रेम का व्याकरण पढ़ा होता
डॉक्टर सरिता शर्मा
जन्म से ले मृत्यु तक का
सफ़र जाने कब कटेगा
रात के अन्तिम प्रहर में
कुछ कुहासा तो छंटेगा
देह मंदिर में जले मन आरती सा
प्रार्थना से पूर्व का वातावरण हूँ
इंदिरा गौड़,
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