शुक्रवार, 7 जनवरी 2011

पशु से इंसान बने और बने फिर इंसान से पशु

सबकी गति है एक सी अंत समय पर होय, जो आये हैं जायेंगे राजा रंक फकीर । जनम होत नंगे भये, चौपायों की चाल , न वाणी न वाक्‍य थे पशुवत पाये शरीर । धीरे धीरे बदल गये चौपायों से बन इंसान । वाक्‍य और वाणी मिली वस्‍त्र पहन कर हुये बने महान । जाति बनी और ज्ञान बढ़ा तो बॉंट दिया फिर इंसान । अंत समय नंगे फिर भये, गये सब वेद शास्‍त्र और ज्ञान ।।

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