जुबाँ के ताले खोलो
"शब्द, शब्द है। उसे किसी की नफरत छू जाए तो वह गाली बन जाता है। शब्द किसी आदि बिन्दु के कंपन को छू ले तो वेद की ऋचा बन जाता है। गीता का श्लोक बन जाता है। कुरान की आयत बन जाता है। गुरुग्रंथ साहब की वाणी बन जाता है। ठीक उसी तरह जैसे पत्थर, पत्थर है गलत हाथों में आ जाए तो किसी का ज़ख्म बन जाता है। किसी माइकल एंजेलो के हाथों में आ जाए तो हुनर का शाहकार बन जाता है।" शब्दों की महत्ता पर अमृता प्रीतम ने उपरोक्त बातें कही हैं। शब्दों से ही संवाद होते हैं यानी बातचीत। संवाद का आपके जीवन में कितना महत्व है इसे समझकर आप अपने जीवन को खुशहाल और समृद्ध बना सकते हैं।
रिश्तों में ताजगी लाते हैं संवाद
आज की भागती-दौड़ती जिंदगी में जहाँ रिश्ते सतही होते जा रहे हैं, वहाँ संवादों की महत्ता और भी बढ़ जाती है। व्यावहारिक रूप से अब शाब्दिक संवाद अनिवार्य होते जा रहे हैं। ऐसे में संवादहीनता कई तरह की मुश्किलें खड़ी कर देती है। यह व्यक्ति के मन में गलतफहमियाँ बढ़ा सकती हैं। संवादहीनता निजी रिश्तों में दरार पैदा कर देती है इसलिए संवाद करना किसी भी हालात में बंद नहीं करें। क्योंकि संवाद से ही आप एक-दूसरे की गलतफहमियाँ दूर कर सकते हैं। ये संवाद ही होते हैं जो रिश्तों में गर्माहट बनाए रखते हैं।
बच्चों से भी बतियाएँ
आज आपाधापी के युग में जहाँ माता-पिता दोनों व्यस्त हैं। ऐसे में वह अपने बच्चों से बिल्कुल भी बातें नहीं कर पाते। याद रखें माता-पिता का यह व्यवहार बच्चे को असंवेदनशील बना सकता है। बच्चे में भावनात्मक संतुलन के लिए उससे संवाद आवश्यक है। एक अध्ययन के अनुसार जिन शिशुुओं के माता-पिता उनसे निरंतर बात करते रहते हैं वे बोलना जल्दी सीखते हैं। वहीं किशोर बच्चों से माता-पिता का वार्तालाप, बच्चों में आत्मविश्वास भरता है। युवाओं की उलझनें आप संवाद के जरिए समझ, और सुलझा सकते हैं। साथ ही इससे पारिवारिक निर्णय लेने में भी मदद मिलती है और एक सपोर्ट ग्रुप विकसित होता है।
संवाद बुजुर्गों से
वृद्धों से संवाद करके आप उनके उम्र भर के अनुभवों को पूँजी पा सकते हैं क्योंकि कहा गया है बुजुर्ग व्यक्ति एक चलता-फिरता पुस्तकालय होता है। इसमें उनके संघर्ष, दुःख-सुख आदि छुपे रहते हैं। इनका उपयोग कर आप अपने आगामी जीवन को सुखी बना सकते हैं। साथ ही बुजुर्गों को इस बात से बहुत खुशी भी होती है।
संवादहीनता हो सकती है हानिकारक
संवादहीनता व्यावहारिक, भावनात्मक और शारीरिक रूप से हानिकारक भी हो सकती है। यदि व्यक्ति अपने मन की बात किसी से नहीं कहता तो यह बात उसके लिए तनाव का कारण भी हो जाती है। इसके साथ रक्तचाप, सिरदर्द और अवसादग्रस्त होने का खतरा उसमें अन्य व्यक्तियों की तुलना में अधिक हो जाता है।
शब्दों के चयन पर ध्यान दें
शब्दों के चयन पर आवश्यक रूप से ध्यान दें। संवाद के जरिए ही हम एक-दूसरे को जानते और समझते हैं और खुद को अभिव्यक्त करते हैं। इसलिए संवाद के समय सावधानी रखें। क्योंकि इन्हीं संवादों के दौरान छोड़ा गया सकारात्मक या नकारात्मक प्रभाव आपके रिश्तों की आगामी रूपरेखा तय करता है। वास्तव में यह बातें भी सही हैं।
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